सीधी की लोकप्रिय विधायक के जन्मदिन का रहस्य - क्या यह जुलाई में है या अक्टूबर में? दोनों महीनों में बधाइयों की बौछार
सीधी, 19 अक्टूबर 2025। राजनीति में शुभकामनाओं का कोई एक्सपायरी डेट नहीं होता, यह बात सीधी विधानसभा क्षेत्र से विधायक के जन्मदिन समारोहों से पूरी तरह सिद्ध हो गई है। जहां आम नागरिक साल में एक बार जन्मदिन मनाकर खुश हो जाते हैं, वहीं लोकतंत्र के इस चमकते सितारे के लिए कैलेंडर ने विशेष छूट दे रखी है- जुलाई में भी जन्मदिन, अक्टूबर में भी जन्मदिन।
जुलाई का 'मूल' जन्मदिन: परंपरा या प्रामाणिकता?
पिछले कई वर्षों से 1 जुलाई को सीधी क्षेत्र के तमाम भाजपा नेताओं, सांसदों, विधायकों और कार्यकर्ताओं द्वारा श्रीमती रीती पाठक को जन्मदिन की शुभकामनाएं दी जाती रही हैं। फेसबुक पर उपलब्ध स्क्रीनशॉट्स इस बात के गवाह हैं कि डॉ. मोहन यादव (2021, 2022, 2024), माया नारोलिया, नारायण सिंह पंवार, मोहन शर्मा विधायक, दिलीप जायसवाल, राकेश मौर्य, के पी त्रिपाठी, कैलाश विजयवर्गीय (2021), डॉ. नरोत्तम मिश्रा (2022), और यहां तक कि स्वयं रीती पाठक के आधिकारिक पेज (2021) ने भी 1 जुलाई को ही बधाइयां साझा कीं।हर साल जुलाई में आने वाली इन शुभकामनाओं में "बाबा महाकाल से प्रार्थना," "दीर्घायु और उत्तम स्वास्थ्य की कामना," और "निरंतर जनसेवा के पथ पर अग्रसर रहें" जैसे भावुक संदेश शामिल होते हैं। साल 2021, 2022, और 2024 के पोस्ट साक्ष्य के रूप में मौजूद हैं—सभी 1 जुलाई को।
अक्टूबर का 'नया' जन्मदिन: दीपावली स्पेशल एडिशन
लेकिन 2025 में एक नया अध्याय खुला है। इस वर्ष सीधी शहर की दीवारों पर लगे एक भव्य बैनर पर 20 अक्टूबर को श्रीमती रीती पाठक का जन्मदिन घोषित किया गया है—वह भी दीपावली के दिन! बैनर पर बड़े-बड़े अक्षरों में जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई लिखा है, और तारीख को "20 अक्टूबर" के रूप में गोल मुहर जैसे डिज़ाइन में उकेरा गया है।यह संयोग इतना सुविधाजनक है कि दीपावली और जन्मदिन दोनों एक साथ मनाए जा सकें—दीये भी जलेंगे, केक भी कटेगा, और पटाखे भी फूटेंगे। एक तीर से दो शिकार वाली कहावत का यह राजनीतिक संस्करण है।
तो आखिर सच क्या है? जुलाई या अक्टूबर?
अब सवाल यह उठता है कि असली जन्मदिन कब है? क्या जुलाई के वर्षों पुराने फेसबुक पोस्ट झूठे थे? या फिर अक्टूबर का यह बैनर सिर्फ दीपावली के माहौल में "थीमैटिक सेलिब्रेशन" है?राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह "लचीली तारीख नीति" का हिस्सा है—जैसे ई-कॉमर्स साइट्स पर हर महीने सेल चलती है, वैसे ही कुछ नेताओं के जन्मदिन भी साल में कई बार आ जाते हैं। इससे कार्यकर्ताओं को ज्यादा मौके मिलते हैं शुभकामनाएं देने के, और नेता को ज्यादा बार केक काटने का अवसर।
कानूनी पहलू: क्या यह गलत है?
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, सार्वजनिक बैनर पर जन्मदिन की तारीख छापना कोई अपराध नहीं है—यह सिर्फ शुभकामना संदेश है, न कि जन्म प्रमाणपत्र। यदि किसी को वास्तविक जन्म तिथि की जानकारी चाहिए, तो उसे सरकारी अभिलेख या आधिकारिक दस्तावेज देखने होंगे, न कि फ्लेक्स बोर्ड।एक वकील ने कहा, "बैनर पर छपी तारीख उत्सव की थीम है, कानूनी दस्तावेज नहीं। इसे गंभीरता से लेना वैसा ही है जैसे होटल के 'वेलकम' बोर्ड को संपत्ति का मालिकाना हक समझना।"
निष्कर्ष: लोकतंत्र में सब कुछ संभव
इस पूरे प्रसंग से एक बात तो साफ है - राजनीति में लचीलापन सिर्फ नीतियों में नहीं, जन्मदिन की तारीखों में भी होता है। जुलाई हो या अक्टूबर, शुभकामनाओं का सिलसिला जारी रहता है। और शायद यही लोकतंत्र की खूबसूरती है - यहां हर दिन उत्सव का दिन हो सकता है, बस जरूरत है एक अच्छे बैनर और सक्रिय सोशल मीडिया टीम की।अंत में, श्रीमती रीती पाठक को - चाहे उनका जन्मदिन जुलाई में हो या अक्टूबर में - सभी नागरिकों की ओर से दीर्घायु और स्वस्थ जीवन की शुभकामनाएं।
अस्वीकरण:- यह लेख पूर्णतः व्यंग्यात्मक है और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध सोशल मीडिया पोस्ट्स एवं बैनर पर आधारित है। इसका उद्देश्य किसी की छवि खराब करना नहीं, बल्कि समाज में व्याप्त विसंगतियों पर हल्के-फुल्के अंदाज में टिप्पणी करना है।
